शूद्र
क्षत्रिय
ब्राह्मण
वैश्य
शूद्र वर्ण चार वर्णों में से चौथे स्थान पर था। ऋग्वेद के 10वें मण्डल के पुरूष सूक्त में चार वर्णों का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण विराट पुरूष (ब्रह्मा) के मुख से, क्षत्रिय भुजाओं से, वैश्य जंघा से तथा शूद्र पैरों से उत्पन्न हुए हैं।
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