भारत की हरित क्रान्ति एक नाटकीय उदाहरण है कि कैसे बेहतर उत्पादन प्रौद्योगिकियों के रूप में अधिक से अधिक ज्ञान का निवेश दुलर्भ भूमि संसाधनों की उत्पादकता में तेजी से वृद्धि कर सकता है।
भारत में हरित क्रान्ति की शुरूआत 1963 के दशक में आरम्भ हुआ। इसका सर्वाधिक प्रभाव गेहूँ पर हुआ। वैश्विक स्तर पर हरित क्रान्ति के जनक नॉर्नल बोर्लाग को तथा भारत में हरित क्रान्ति का जनक एम.एस. स्वामीनाथन को माना जाता है।
श्वेत क्रान्ति का संबंध दुग्ध उत्पादन से तथा नीली क्रान्ति का संबंध मत्स्य उत्पादन से है।
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