निर्देश - गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा संबंधित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। हमारा समाज पुरूष प्रधान है। यहाँ जो भी नियम बनाए जाते हैं, वे पुरूषों के द्वारा ही बनाए जाते हैं। अत: कैसे संभव है कि वे नियम अपने विरूद्ध बनाए। नारी के उत्थान और पतन के पीछे भी पुरूष का ही हाथ होता है। अत: नारी की हमारे समाज में क्या पुरूष का ही हाथ होता है। अत: नारी की हमारे समाज में क्या स्थिति होगी यह स्वयं ही परिभाषित है। भारत के गांवों में स्त्रियों को पिता, पति अथवा पुत्र के अधीन रहना पड़ता है। ग्रामीण स्त्रियां प्राय: आर्थिक तंगी का शिकार होती हैं। उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के विषय में भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता । वास्तव में, आधुनिक युग में कहने के लिए लड़का लड़की एक समान हैं किन्तु इसके पीछे भी रहस्य कुछ और ही है। मादा भ्रूण को गर्भ में नष्ट करने के कारण आज स्त्री-पुरूष के प्रतिशत में काफी अंतर आ रहा है। दहेज प्रथा की भयावहता लड़की के जीवन के आकाश में धूमकेतु बनकर छा जाती है। घर से बाहर निकालने का उन्हें विचार असुरक्षित महसूस होता है। अनेक लड़कियाँ तो विवाह के उपरांत जीवन भर तनाव सहने को विवश हो जाती हैं। यह स्थिति केवल अशिक्षित लड़कियों की ही नहीं, बल्कि शिक्षित लड़कियों की भी है। गद्यांश में आए 'धूमकेतु' शब्द का अभिप्राय है।

  • 1

    नभ में चमकने वाले सितारे का नाम

  • 2

    आकाश में तारे चमकना

  • 3

    शादी में मिलने वाले दहेज की खुशी

  • 4

    डर, खौफ मंडराना

Answer:- 4

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