निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न के उत्तर दीजिए: दूसरों को स्नेह देना और उनका सम्मान करना सामाजिक सफलता का एकमात्र मंत्र है। जीवन में सुख-शांति और उन्नति चाहने वाले प्रत्येक महत्वाकांक्षी को सबसे पहले यही सीख धारण करनी चाहिए। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में कृष्ण ने लोगों के स्वागत की जिम्मेदारी ली और बदले में वे उस यज्ञ के सर्वाधिक पूज्य व्यक्ति माने गये। ईसा मसीह, गौतमबुद्ध, महावीर, महात्मा गाँधी जैसे महापुरूषों में रंचमात्र भी अभिमान न था। उन्होंने सदैव दूसरों को महत्व दिया और वे स्वयं ही महान बन गए। मान-सम्मान का मूल्य चुकाना असंभव है। अत: विद्यार्थी जीवन का भी प्रथम पाठ यही है। कि वह गुरू के प्रति सच्चे सम्मान का भाव अपने ह्रदय में पैदा करे, अन्यथा उसकी विद्या निष्फल है। प्रस्तुत गद्यांश के द्वारा क्या संदेश दिया गया है?

  • 1

    सदा सुख-शांति रखें।

  • 2

    सदा कर्म पर अडिग रहें।

  • 3

    सदा आदरणीय बनें।

  • 4

    सदा दूसरों को स्नेह एवं सम्मान दें।

Answer:- 4

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