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उसका त्वरण दोगुना हो जाता है।
उसका संवेग दोगुना हो जाता है।
उसकी गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाती है।
उसकी स्थितिज ऊर्जा दोगुनी हो जाती है।
इनमें से कोई नहीं
जब किसी पिंड की गति दोगुनी की जाती है, तो उसका संवेग भी दोगुना हो जाता है।
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