उद्योग दीर्घ अवधि में साम्यावस्था में होता है
उत्पादकों को न्यूनतम हानि होती है
विक्रेता अधिकतम लाभ अर्जित करता है
फर्म शून्य लाभ की स्थिति में होती है
'' संतुलन स्तर स्थिति'' में फर्म शून्य लाभ की स्थिति में होती है। एक फर्म संतुलन में तब कही जाती है जब वह अपनी उत्पादन मात्रा को घटाने व बढ़ाने का प्रयास नहीं करती है।
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