पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
विसर्जन
परावर्तन
अपवर्तन
इनमें से कोई नहीं
गर्मियों के मौसम में रेगिस्तान में मृग-तृष्णा (मरीचिका) का कारण पूर्ण आन्तरिक परावर्तन है। गर्मियों की दोपहर में रेगिस्तान में यात्रियों को कुछ दूरी पर पानी होने का भ्रम होता है। इसे रेगिस्तान की 'मृग-तृष्णा' या 'मरीचिका' कहते हैं। गर्मी के दिनों में वायु की विभिन्न परतें जो कि नीचे की ओर विरल होती हैं, प्रकाश की किरणें अपवर्तित परतें जो कि नीचे की ओर विरल होती है, प्रकाश की किरणें अपवर्तित होकर अभिलंब से दूर हटती जाती है। धीरे-धीरे ेक ऐसी स्थिति आती है जब वायु की किसी पर्त का किसी किरण के लिए आपतन कोण पर्तों के क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में किरण का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है और प्रकाश किरण पुन: ऊपर की ओर सघन में पूर्ण परावर्तित हो जाती है और जब ये किरणें यात्री की आंखों में पहुंचती है, तो उसे पानी होने का भ्रम हो जाता है।
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