गैर-मुसलमानों पर
विदेशी व्यापार पर
औद्योगिक विकास पर
जल आपूर्ति बनाए रखने पर
फिरोजशाह तुगलक ने उलेमा वर्ग की स्वीकृति के पश्चात एक नया कर हक्क-ए-शर्ब अथवा सिंचाई कर को लागू किया जिससे जल की आपूर्ति को निरंतर बनाए रखा जा सके। यह कर उन किसानों को, जो सिंचाई के लिए शाही नहरों का पानी प्रयोग करते थे, अपनी पैदावार (उपज) का 1/10 भाग सरकार को देना पड़ता था। सिंचाई की सुविधा को बनाये रखने के उद्देश्य से उसने पांच बड़ी नहरों का निर्माण करवाया था।
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