सौत्रान्तिक
वैभाषिक
माध्यमिक
योगाचार
माध्यमिक (शून्यवाद) के प्रवर्तक नागार्जुन हैं जिसकी प्रसिद्ध रचना 'माध्यमिक कारिका' है इसे सापेक्षवाद भी कहा जाता है। जिसके अनुसार प्रत्येक वस्तु किसी-न-किसी कारण से उत्पन्न हुई है और उस पर निर्भर है। नागार्जुन ने 'प्रतीत्यसमुत्पाद' को ही शून्यता कहा है। इस मत में महात्मा बुद्ध द्वारा प्रतिपादित मध्यम-मार्ग को विकसित किया गया है। सौत्रान्तिक और वैभाषिक हीनयान के दो प्रमुख सम्प्रदाय थे। वैभाषिक की उत्पत्ति कश्मीर में हुई। वसुमित्र घोषक, धर्मत्रात एवं बुद्धदेव इस मत के प्रमुख आचार्य थे। सौत्रान्तिक मत सुत्तपिटक पर आधारित है। इस मत के प्रवर्तक कुमार लात (कुमारलब्ध) थे। योगाचार या विज्ञानवाद के प्रवर्तक मैत्रेय (मैत्रेयनाथ) थे।
Post your Comments