केवल लोक सभा में
केवल राज्य सभा में
केवल राज्य विधान सभाओं में
संसद के किसी एक सदन में
संविधान संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद-368 (1) में है। इस अनुच्छेद-368 (2) में उल्लिखित है कि संविधान संशोधन की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में आरंभ की दी सकती है।इसके हेतु संसद के प्रत्येक सदन द्वारा कुल सदस्यों का बहुमत और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के 2/3 मतों से विधेयक पारित हो जाने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही वह संशोधन संविधान का भाग बन जायेगा। भारत के संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को संसद के किसी भी एक सदन में आरम्भ किया जा सकता है। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद-368(2) में किया गया, किन्तु संशोधन की प्रक्रिया के लिए दोनों सदनों के सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है। मतदान की दशा में प्रत्येक सदन में उपस्थित सदस्यों की संखअया के दो-तिहाई बहुमत द्वारा संशोधन प्रस्ताव की स्वीकृति अनिवार्य होती है। भारत के संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को दक्षिण-अफ्रीका के संविधान से अपनाया गया है।
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