एक दिशा में प्रवाहित होने देती है।
दोनों दिशाओं में प्रवाहित होने देती है।
किसी भी दिशा में प्रवाहित नहीं होने देती है।
उपर्युक्त में से कोई नहीं।
डायोड वाल्व में धारा केवल एक दिशा में बह सकती है। इसी कारण इसे 'वाल्व' कहते हैं। चूंकि इसमें दो इलेक्ट्रोड होते हैं, अत: इसे 'डायोड' कहते हैं। वर्ष 1904 में इंग्लैंड के वैज्ञानिक फ्लेमिंग ने तापायनिक उत्सर्जन पर एक ऐसी युक्ति का आविष्कार किया जिसके द्वारा उच्च निर्वात में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। इसे 'डायोड' वाल्व कहते हैं।
Post your Comments