मन्दिर
कर
गाँवों का समूह
भूमि
'पैबाकी' शब्द से तात्पर्य भूमि था। मुगल काल में भूमि कर के आधार पर भूमि का विभाजन मुख्यत: 2 भागों में किया गया था। केंद्रीय नियंत्रण में रहती थी। मुगल काल में जागीरों के हस्तांतरण की एक आम प्रक्रिया बन गई थी ऐसे हस्तांतरणों के समय वह भूमि केन्द्र के देख-रेख में रहती थी और इसे पैबाकी कहा जाता था। इसके अतिरिक्त कुछ कर्मचारियों को जब उनके बंधे कार्यों के अतिरिक्त कुछ अन्य कार्य सौंपे जाते थे, तो उन्हें पारितोषिक स्वरूप कुछ जमीन दी जाती थी, जिस पर लागू कर के वे वसूल सकते थे ऐसी भूमि भी पैबाकी के अन्तर्गत आती थी।
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