लोक अदालतों की अधिकारिता मुकदमा दायर करने से पहले के मामलों का निपटारा करने की है, और उन मामलों का नहीं, जो किसी न्यायालय में लंबित हों।
लोक अदालतें ऐसे मामलों का निपटारा कर सकती हैं जो सिविल, न कि आपराधिक प्रकृति के हैं।
प्रत्येक लोक अदालत में केवल सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी ही नियुक्त हो सकते हैं, कोई अन्य व्यक्ति नहीं।
उपर्युक्त में से कोई-सा भी कथन सही नहीं है।
लोक अदालतों में सामान्य न्यायालयों में लंबित मामलों का दोनों पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर निपटारा किया जाता है। इनमें दीवानी मामलों के साथ-साथ कतिपय आपराधिक मामलों पर भी विचार किया जाता है। लोक अदालतों में वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी अथवा विधिक ज्ञान रखने वाला सम्मानीय व्यक्ति पीठासीन अधिकारी होता है तथा सामान्यतः एक वकील एवं एक सामाजिक कार्यकरता इसके सदस्य होते हैं।
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