पारा धातु होता है।
पारे का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक होता है।
पारे का ससंजन, उसका शीशे के साथ आसंजन से अधिक होता है।
पानी का ससंजन , उसका शीशे के साथ आसंजन से अधिक होता है।
एक ही तरह के अणुओं के बीच लगने वाले बल को 'ससंजन बल' एवं भिन्न-2 तरह के अणुओं के बीच लगने वाले बल को 'आसंजन बल' कहते हैं। पारे के अणुओं के बीच लगने वाला ससंजन कहते हैं। पारे के अणुओं के बीच लगने वाला ससंजन बल, पारे एवं शीशे के अणुओं के बीच लगने वाले आसंजन बल से अधिक होता है, अत: पारे की बूंद गोलाकार बनी रहती है। दूसरी तरफ पानी की दशा में आसंजन बल का मान ससंजन बल से अधिक होने के कारण, पानी को कांच चिपका लेता है। अर्थात पानी कांच पर फैल जाता है।
Post your Comments