ऋग्वेद
सामवेद
यजुर्वेद
अथर्ववेद
हड़प्पाकालीन /धर्मिक व्यवस्था वैदिक लोगों की धार्मिक व्यवस्था से काफी भिन्न थी। सैन्धव निवासी मातृ देवी तथा शिव की उपासना करते थे, जिसमें शिव की पूजा मुर्तियों तथा लिंगों द्वारा होती थी। प्रारम्भ में आर्यों ने इनमें से कई दोषों की निन्दा की। वैदिक काल मे महिलाओं, देवताओं की पूजा एक छोटे भाग से होती थी, जबकि सैंधव वासी मातृ देवी की उपासना करते थे। वैदिक काल में मनुष्य मरणशील जबकि देव अमर है। इस प्रकार वैदिक काल में धार्मिक व्यवस्था में व्यापार परिवर्तन हुए तथा यजुर्वेद में लिंग पूजा के डर को समाप्त कर दिया गया और इसे आधिकारिक अनुष्ठान के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई।
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