हरी सब्जियों की उत्यधिक खेती
गहन कृषि जिला कार्यक्रम
उच्च उपज किस्म कार्यक्रम
बीज-उर्वरक-जल तकनीकी
उपरोक्त में से कोई नहीं
20वीं शताब्दी के सातवें दशक के अन्तिम दौर (1966-67) की ‘हरित क्रान्ति’ की प्रकृति निम्न थी - रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग, उन्नतशील बीजों के प्रयोग में वृद्धि (उच्च उपज किस्म कार्यक्रम), पौध संरक्षण, बहुफसली कार्यक्रम, आधुनिक कृषि यन्त्रों का प्रयोग, कृषि शिक्षा एवं अनुसन्धान, मृदा परीक्षण, भूमि संरक्षण, उत्पादन तता उत्पादकता में वृद्धि, कृषि के परम्परागत स्वरूप में परिवर्तन आदि सुधार किए गए। इसे ‘बीज-खाद-जल तकनीक’ भी कहा जाता है। भारत में हरित क्रान्ति के जनक एमएस स्वामीनाथन को माना जाता है।
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