रैयत नील की खेती नहीं करना चाह रहे थे पर जबरदस्ती करवाई जा रही थी।
रैयत नील की खेती करना चाह रहे थे पर उन्हें जबरदस्ती रोका जा रहा था।
रैयत नील की खेती नहीं करना चाह रहे थे पर उनसे एक अमान्य मूल्य पर जबरदस्ती करवाई जा रही थी।
नीले रंग के झण्डे वाला एक विद्रोही आन्दोलन
उपरोक्त में से कोई नहीं
नील विद्रोह सर्वप्रथम बंगाल में वर्ष 1859 - 61 में शुरू हुआ। इस विद्रोह का कारण किसानों द्वारा जबरदस्ती अमान्य (मनमानी मूल्य) मूल्य पर नील की खेती कराई जाती थी। किसानों को अपनी भूमि के 3/20 (तिनकठिया) भाग पर अनिवार्य रूप से नील की खेती करनी पड़ती थी। इसी सन्दर्भ में वर्ष 1917 का गाँधीजी का चम्पारण सत्याग्रह भी हुआ था।
Post your Comments