संसद विधि द्वारा एक नए राज्य का निर्माण कर सकती है।
इस प्रकार की विधि में संविधान की पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन का प्रावधान होगा।
इस प्रकार की विधि को अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए संविधान का संशोधन समझा जाएगा।
इस प्रयोजन के लिए विधेयक संसद में तब तक पुनःस्थापित नहीं किया जा सकता, जब तक इसे उस राज्य के विधानमंडल को निर्दिष्ट नहीं कर दिया गया है, जिसके क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर इसका प्रभाव पड़ता है।
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