मित्र
दुर्ग
जनपद
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मित्र राज्य के सप्तांग सिद्धांत के अनुसार राज्य का सातवां अंग है राजा के मित्र शांति एवं युद्ध काल दोनों में उसकी सहायता करते हैं। इस संबंध में कौटिल्य महज (आदर्श) तथा कृत्रिम मित्र की में भेद करते हैं। सहज मित्र, कृत्रिम मित्र से अधिक श्रेष्ठ होता है। जिस राजा ने मित्र लोभी, कामी तथा कायर होते है उनका विनाश आवश्यभावी है।
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