दिगंबर विश्वास, विष्णु विश्वास
महात्मा गांधी
बाबासाहेब देशमुख
याकूब हसन
नील आंदोलन 1859-60 में बंगाल के नादिया जिले के गोविंदपुर गांव में प्रारंभ हुआ था। नील उत्पादकों ने किसानों को जबरन नील की खेती करने के लिए बाध्य किया जबकि इसके उत्पादन में किसानों को बेहतर कीमत नहीं मिलती थी। अतः दिगम्बर विश्वास और विष्णु विश्वास के नेतृत्व में किसानों ने नील की खेती बन्द करने का निर्णय लिया इसी को नील विद्रोह की संज्ञा दी गयी। दीनबन्धु मित्र के नाटक नील दर्पण में किसानों की दुर्दशा का बारीकी से विवरण किया गया है।
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