उसे शिक्षार्थियों के मानसिक स्तर के अनुकूल होना चाहिए।
उसे काम की दूनिया में प्रवेश के लिए शिक्षार्थियों का ज्ञान एवं कौशल से लैस करना चाहिए
उसे शिक्षार्थियों में पर्यावरण के सरोकार को उत्पन्न करना चाहिए।
उसे शिक्षार्थियों को उन पद्धतियों और प्रक्रियाओं को अर्जित करने में शामिल रखना चाहिए जो नए ज्ञान को उत्पन्न करने में आगे ले जाएँगे।
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