निर्देश- नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए : आधुनिक शिक्षा का नतीजा हमने देख लिया। हमने उस शिक्षा का नतीजा भी देख लिया, जिसमें विकसित विज्ञानका सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिसके कारण व्यक्ति को कहीं भी या कितना भी मिलने के बावजूद तृप्ति नहीं होती। इसका कारण यही है कि शिक्षा के स्वाभाविक और आवश्यक अंगों को छोड़कर हमने ऐसे विषयों पर अधिक ध्यान दिया, जो मनुष्य का एकतरफा विकास करते हैं, जिनके कारण व्यक्तित्व का बड़े-से-बड़ा भाग अतृप्त रह जाता है। बाल्यावस्था में भी कला-शिक्षा को अभी तक उचित स्थान नहीं मिला है। जहाँ मिला भी है, वहाँ बच्चा ग्यारह-बारह वर्ष का होते ही उसके शिक्षा-क्रम में कला-प्रवृत्तियों को निकाल दिया जाता है। ऐसा ही हर्बर्ट रीड ने कहा है- "हमारा अनुभव हमें बताता है कि हर व्यक्ति ग्यारह साल की उम्र के बाद, किशोर-अवस्था और उसके बाद भी सारे जीवन-काल तक किसी-न-किसी कला प्रवृत्ति को अपने भाव-प्रकटन का जरिया बनाये रख सकता है। आज के सभी विषय-जिन पर हम अपनी एकमात्र श्रद्धा करते हैं, जैसे गणित, भूगोल, इतिहास, रसायनशास्त्र और यहाँ तक कि साहित्य भी- जिस तरह पढ़ाये जाते हैं, उन सबकी बुनियाद तार्किक है। इन पर एकमात्र जोर देने के कारण कला- प्रवृत्तियाँ, जो भावना-प्रधान होती हैं, पाठ्यक्रम के करीब-करीब निकल जाती हैं। ये प्रवृत्तियाँ केवल पाठ्यक्रम से ही नहीं निकल जातीं, बल्कि इन तार्किक विषयों को महत्त्व देने के कारण व्यक्ति के दिमाग से भी बिल्कुल निकल जाती हैं। किशोर- अवस्था को इस तरह गलत रास्ते पर ले जाने का नतीजा भयानक हो रहा है। सभ्यता रोज-ब-रोज बेढब होती जा रही है। व्यक्ति का गलत विकास हो रहा है। उसका मानस अस्वस्थ है, परिवार दुखी है। समाज में फूट पड़ी है और दुनिया पर ध्वंस करने का ज्वर चढ़ा है। इन भयानक अवस्थाओं को हमारा ज्ञान- विज्ञान सहारा दे रहा है। आज की तालीम भी इसी दौड़ में साथ दे रही है।" किशोरावस्था तार्किकता की प्रधानता और भाव के अभाव में ............ का रास्था अपना रही है।

  • 1

    पतन

  • 2

    ज्ञान

  • 3

    प्रगति

  • 4

    कर्म

Answer:- 1

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