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व्याकरण का व्यावहारिक उपयोग सिखाना चाहिए।
व्याकरण को एक विषय के रूप में अलग से शिक्षण करवाना चाहिए।
व्याकरण शिक्षण के समय तार्किक क्रम के स्थान पर परिस्थिति का महत्व अधिक होता है।
औपचारिक व्याकरण शिक्षण में आगमन विधि को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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