गणित के विकास को ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में पढ़ाना
विद्यार्थियों को खुली समझ वाला बनाते हुए उनमें गणितीय प्रवीणता, सृजनात्मकता और खोजपरक (अन्वेषणात्मक) चिंतन विकसित करना
गणितीय बोध/भाव,विचारों और तकनीकों के पदानुक्रमिता के माध्यम से क्रमिक तथा व्यवस्थित दिशा-निर्देश
पुनरावृत्ति और स्मरण के द्वारा गणितीय निष्कर्षों, परिभाषाओं तथा संकल्पनाओं को पढ़ाना
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