यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा जो व्यवहारहोता है, उसी के अनुसार फल भी मिलता है । जो समाजऔर संवेदना की नीतिमूलक स्थापनाओं को अपनेव्यवहार का हिस्सा बनाता है, वही शांति पाने का हकदारहोता है । महावीर, बुद्ध, क्राइस्ट, नानक, गाँधी अगरहमारे जीवन पर विराजमान हैं तो इसमें उनकी सदाशयता,निरहंकार और व्यवहार का योगदान है । वे जिए समस्तप्राणियों, प्रकृति और सृष्टि के लिए । उनके मन में किसीके लिए रत्ती भर भी भेद-भाव नहीं रहा । अहंकार कोविवेक से ही हटाया जा सकता है । गाँधीजी ने गुलामी सेआज़ादी, मनुष्यता की सेवा और विवेक से मित्रता कोअपना लक्ष्य बनाया । सबके प्रति समान दृष्टि का ही भावऔर व्यवहार था कि गाँधी विश्व नेता बने । गीता में कहागया है कि जो समस्त प्राणियों के हित में सदा संलग्न रहताहै, सबका मित्र होता है । महावीर सत्य की साक्षातअनुभूति में मैत्री की अनिवार्यता की घोषणा करते हैं । यहअनुभूत सत्य है कि जो अपना मित्र होगा, वह हर किसीका मित्र होगा । आप भी इसे आजमा कर देखें । महसूसहोने लगेगा कि जिस शांति के लिए भटक रहे हैं, वह कहींबाहर नहीं आपके अंदर ही है। कौन सा शब्द भिन्न है -

  • 1

    भिन्नता

  • 2

    मनुष्यता

  • 3

    मित्र

  • 4

    वीरता

Answer:- 3

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