फन-ये
फाॅह्यान
इत्सिंग
ह्वेनसांग
यह चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आया। तीन वर्ष पाटलिपुत्र में तथा दो वर्ष तक्षशिला में रहा। इसने फो-क्यों-की रचना की। फाह्यान, विनयपिटक की प्रामाणिक प्रति प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत आया था। फाह्यान कुमारजीव का शिष्य था, जिसने चीन में महायान बौद्ध धर्म का प्रचार किया। इसने गुप्तकाल में वस्तु विनिमय का माध्यम कौड़ियों को बतलाया है। फाह्यान एक चीनी यात्री था जो चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत आया था। वह 399 ईसवी से लेकर 412 ईसवी तक भारत में रहा। यहां रहकर फाह्यान ने बहुत सी पुस्तकों की चीनी भाषा में अनुवाद लिखें।
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