बच्चों का ध्यान भंग हो सकता है और यह एक प्रभावशाली शैक्षिक पद्धति नहीं है।
बच्चों में प्रतिस्पर्धात्मक प्रवृत्ति उत्पन्न होती है, जो कि अधिगम में विघ्न/रूकावट पैदा करती है।
बच्चे स्वयं की चिंतन प्रक्रिया पर आक्षेप कर सकते ैहं और संज्ञानात्मक क्रियाकलाप के उच्च स्तर पर पहुँच सकते हैं।
बच्चों में भ्रांति उत्पन्न हो सकती है, जो उनके अधिगम में हस्तक्षेप करती है।
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