यह एक ‘लिखित’ संविधान है।
यह ‘अनुनेय’ है (इसे संशोधित किया जा सकता है), लेकिन यह ‘अनम्य’ भी है (कुछ भाग के रुप में, यानी, इसकी ‘मूल संरचना’ में संशोधन नहीं किया जा सकता है)।
यह ‘एकल’ है (क्योंकि केंद्र में अधिक शक्ति है), लेकिन यह ‘संघीय’ भी है (क्योंकि शक्ति केंद्र और राज्य के बीच विभाजित है)।
इसे राज्य के राज्यपाल (सांसदों और विधायकों के परामर्श) से संशोधित किया जा सकता है।
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