लोक सेवक द्वारा किया गया कार्य।
आपराधिक अतिचार को रोकने में।
जंगम संपत्ति की रक्षा में।
उपरोक्त सभी में।
आत्मरक्षा का अधिकार निम्नलिखित परिस्थितियों में प्राप्त नहीं है, सम्बन्धित उपबन्ध धारा-96-106 (I.P.C.)
(i) यदि लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी कोई कार्य, जिससे मृत्यु या नुकसान की आशंका युक्ति युक्त रूप से नहीं होती है और वह सद्भावनापूर्वक अपने पद पर काम करता है।
(ii) कोई व्यक्ति जो लोक सेवक के निर्देश पर कोई कार्य करे या करने की कोशिश करे। उदाहरण-कोर्ट के लाठीचार्ज के आदेश, पुलिस की कार्रवाई।
(iii) यदि कोई कार्य उचित देखभाल व सावधानी से किया जाए तब उसे सद्भावनापूर्वक किया गया माना जाएगा।
(iv) ऐसे समय में जब सुरक्षा के लिए उचित प्राधिकारियों की सहायता प्राप्त करने के लिए समय हो।
(v) स्वयं या संपत्ति की रक्षा के लिए उतने ही बल के प्रयोग का अधिकार है, जितना स्वयं की रक्षा के लिए जरूरी हो।
(vi) किसी विकृत चित्त व्यक्ति (अपरिपक्व समझ के शिशु, पागल व्यक्ति, शराबी) के खिलाफ आत्मरक्षा का अधिकार है।
(vii) किसी आक्रमण करने वाले को जान से मारा जा सकता है, अगर उस हमलावर से मौत, बलात्कार, अप्राकृतिक कार्य, अपहरण आदि की अशंका हो।
Post your Comments