समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, सम्प्रभुता और समतावाद
समानता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व, समाजवाद और सम्प्रभुता
समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, सम्प्रभुता और एक सर्वदेशीय पहचान
समानता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व, लोकतंत्र और सम्प्रभुता
भारतीय संविधान की रचना के समय उसके रचयिताओं का उद्देश्य ही संविधान में प्रस्तावना या उद्देशिका नाम से वर्णित है। मूल उद्देशिका में भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य बनाने का संकल्प लिया गया था। 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा उद्देशिका में समाजवादी, पंथ निरपेक्ष और अखण्डता शब्द जोड़ा गया। उद्देशिका में प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने तथा बन्धुता (भातृत्व) बढ़ाने पर भी बल दिया गया है। उपरोक्त प्रश्न में विकल्प (b) और विकल्प (d) दोनों में दी गयी प्रतिबद्धताये उद्देशिका में वर्णित हैं। अत: यदि मूल संविधान की उद्देशिका में मौलिक प्रतिबद्धताओं को बारे में पूछा जाय तो विकल्प उत्तर होगा। वही वर्तमान में पूछा जाय तो दोनों विकल्पों (b) और (d) को उत्तर माना जा सकता है।
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