समानता का अधिकार
सम्पत्ति का अधिकार
मताधिकार
निजता का अधिकार
24 अगस्त, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय पीठ ने 'निजता का अधिकार' मामले पर निर्णय देते हुये इसे मौलिक अधिकार माना है। 'निजता का अधिकार' को अनु. 21 में 'जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार' में निहित माना गया है। निजता का अधिकार मानवीय गरिमा का अभिन्न अंग है। यह संविधान के भाग-3 के तहत प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार का ही हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि मौलिक अधिकारों का संविधान के भाग-3 में अनु. 12 से अनु. 35 तक वर्णन है।
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