अनुच्छेद - 28
अनुच्छेद - 30
अनुच्छेद 33
अनुच्छेद 32
भारतीय संविधान का अनु0 33 सशस्त्र बलों. अर्धसैनिक बलों, पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों आदि के सदस्यों के मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने या निरस्त करने के लिए संसद को अधिकार देता है। अनुच्छेद 33 के अंतर्गत केवल संसद को विधि बनाने की शक्ति दी गई है। राज्य विधान मंडलों को नहीं।
अनु0 28: निश्चित शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या उपासना में उपस्थित होने की स्वतंत्रता। राज्य नीधि से पूर्णतः पोषित शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्मोपदेश को बलात् सुनने हेतु बाध्य नहीं कर सकते।
अनु0 30 : शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वगों का अधिकार। कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पंसद का शैक्षिणिक संस्था चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेद-भाव नहीं करेगी।
अनु) 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार एक अत्यन्त महत्वपूर्ण मूलाधिकार है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने इसे भारतीय संविधान का हृदय और आत्मा कहा, इस अधिकार के अन्तर्गत जब किसी व्यक्ति के मूलाधिकार का उल्लंघन होता है, तब वह उपचार के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण में जा सकता है।
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