पाली
शौरसेनी
प्राकृत
संस्कृत
गुप्त काल में जहां संस्कृत विद्वान जनों की भाषा थी, वहीं सामान्य जनों की भाषा प्रकृत थी। अतः संस्कृत नाटकों में विद्वान लोग संस्कृत भाषा बोलते थे तथा स्त्रियां एवं शूद्रों को प्रकृत भाषा बोलते हुए चित्रित किया गया है।
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