बनारस अधिवेशन, 1905
कलकत्ता अधिवेशन, 1906
सूरत अधिवेशन, 1907
लखनऊ अधिवेशन, 1916
वर्ष 1916 के लखनऊ के कांग्रेस अधिवेशन में तिलक को पुनः कांग्रेस में शामिल कर लिया गया। अध्यक्ष अंबिका चरण मजूमदार ने कहा “10 वर्षों के दुखद अलगाव तथा गलतफहमी के कारण बेवजह के विवादों में भटकने के बाद भारतीय राष्ट्रीय दल के दोनों खेमों (उदारवादियों एवं उग्रवादियों) ने अब यह महसूस किया है कि अलगाव उनकी पराजय है और एकता उनकी जीत। अब भाई-भाई फिर मिल गए हैं।” कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में ही महात्मा गांधी से राजकुमार शुक्ल की मुलाकात हुई थी जिन्होंने उन्हें चंपारण के किसानों की समस्याओं से अवगत कराया।
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