अवध
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वर्ष 1919 के अंतिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। अवध के प्रतापगढ़ जिले की एक जागीर में ‘नाई-धोबी बंद’ सामाजिक बहिष्कार एवं संगठित कार्रवाई की पहली घटना थी। झिंगुरी सिंह और दुर्गपाल ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन जल्दी ही आंदोलन में एक नया चेहरा उभरा-बाबा रामचंद्र, जिन्होंने आंदोलन की बागडोर ही नहीं संभाली, अपितु उसे और मजबूत एवं जुझारु बनाया। बाबा रामचंद्र महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार के थे। वर्ष 1920 के मध्य में वे एक किसान नेता के रुप में उभरे तथा उन्होंने अध के किसानों को संगठित करना शुरु किया। उनमें संगठन की अद्भुत क्षमता थी।
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