भारत की विदेश नीति की घोषणा
पूर्ण स्वराज के लक्ष्य की घोषणा
सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की तैयारी
अस्पृश्यता उन्मूलन
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 31 दिसंबर, 1929 को घोषित संकल्प में स्पष्ट किया गया है - 1. गोलमेज सम्मेलन से कोई लाभ नहीं है। 2. नेहरू कमेटी की डोमिनियन राज्य के दर्जे की योनजा समाप्त की जाती है। 3. शब्द स्वराज का अऱ्त है पूर्ण स्वतंत्रता और 4. अखिल भारतीय कांग्रस जब उचित समझेगी नागरिक अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करेगी। संकल्प में अस्पृश्यता उन्मूलन का कोई उल्लेख नहीं है। गोलमेज सम्मेलन से संबंधित नीति को ही भारतीय विदेश नीति के रूप में माना जा सकता है है क्योंकि ब्रिटिश शासन में शेष विश्व में संबंधित नीति का निर्धारण ब्रिटिश सरकार ही करती थी। वैसे वर्ष 1921 के कांग्रस अधिवेशन में सर्वप्रथम यह संकल्प व्यक्त किया गया था कि भारत की एक विदेश नीति होनी चाहिए।
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