31 दिसंबर, 1928
31 दिसंबर, 1929
31 दिसंबर, 1930
31 दिसंबर, 1931
कांग्रस के कलकत्ता अधिवेशन (1928) में ब्रिटिश सरकार को यह अल्टीमेटम दिया गया कि वह एक वर्ष में नेहरू रिपोर्ट स्वीकार कर ले या कांग्रस द्वारा प्रारंभ किए जाने वाले जनांदोलन का सामना करे। निर्धारित समय सीमा में सरकार द्वारा कोई निश्चित उत्तर न मिलने की स्थिति में दिसंबर 1929 में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन हुआ, जिसमें संबंधित प्रस्ताव पारित होने के बाद पं. जवाहरलाल नेहरू ने 'पूर्ण स्वराज' का लक्ष्य घोषित किया। जैसे ही 31 दिसंबर, 1929 को मध्यरात्रि का घंटा बजा, कांग्रेस अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर में रावी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का झंडा 'तिरंगा' फहराया। कांग्रे, कार्यसमिति द्वारा 2 जनवरी, 1930 की अपनी बैठक में यह निर्णिय लिया गया कि 26 जनवरी, 1930 का दिन 'पूर्ण स्वराज दिवस' के रूप में मनाया जाएगा तथा 26 जनवरी को प्रत्येक वर्ष 'पूर्ण स्वाधीनता दिवस' के रूप में।
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