मित्र
पूषन
रुद्र
वरुण
ऋग्वैदिक काल में पूषन पशुओं एवं वनस्पतियों का देवता था। ऋग्वेद में इसके रथ को बकरे द्वारा खींचते हुए प्रदर्शित किया गया है। आगे चलकर उत्तर वैदिक काल में यह शूद्रों का देवता हो गया। इसी संदर्भ में अन्य विवरण के अन्तर्गत मित्र की उदित होते हुए सूर्य के रुप में पूजा होती थी। जबकि रुद्र क्रोधी स्वभाव के देवता हैं। इन्हें शिव का प्रारम्भिक रुप माना जाता है। वरुण देवता का वर्णन ऋत अथवा नैतिक नियमों के संरक्षक के रुप में हुआ है।
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