जम्बू
भद्रबाहु
स्थूलभद्र
सुधर्मा
महावीर ने अपने जीवनकाल में 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। इन्हें गणधर कहा गया। महावीर की मृत्यु के समय इनमें से केवल दो सुधर्मन तथा इन्द्रभूति ही जीवित बचे थे। महावीर के मृत्यु के पश्चात् सुधर्मन जैन संघ के प्रथम अध्यक्ष बने। इसीलिये सुधर्मन को जैन धर्म का प्रथम ‘थेरा’ या मुख्य उपदेशक कहा जाता है। सुधर्मन के बाद जम्बू जैन संघ का दूसरा अध्यक्ष बना। इस क्रम में भद्रबाहु का स्थान छठवां था। वे जैन धर्म के छठें थेरा या मुख्य उपदेशक थे।
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