आठ
नौ
दस
ग्यारह
भक्ति का सर्वप्रथम उल्लेख श्वेताश्वर उपनिषद् में मिलता है जबकि भगवतगीता में नौ प्रकार की भक्ति का उल्लेख है जिसे नवधा भक्ति कहा जाता है। नवधा भक्ति का वर्णन इस प्रकार से किया गया है -
श्रवणं, कीर्तनं, विष्णोः स्मरणं, पादसेवनं।
अर्चनं, वंदनं, दास्यं, संख्यं, आत्मनिवेदनम्।।
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