घोर अंगिरस
वासुदेव
संकर्षण
प्रद्युम्न
भागवत धर्म के प्रवर्तक कृष्ण का प्राचीनतम उल्लेख छान्दोग्य उपनिषद् में मिलता है। इसी उपनिषद् में उनके गुरु का नाम घोर अंगिरस बताया गया है। कृष्ण का उल्लेख दो रुपों-देवकी पुत्र एवं गोपीकृष्ण के रुप में मिलता है। छान्दोग्य उपनिषद् में ही सर्वप्रथम कृष्ण को देवकी पुत्र कहा गया है। गोपीकृष्ण का उल्लेख प्रारम्भिक तमिल कविताओं में मिलता है। जैन परम्परा के अनुसार वासुदेव कृष्ण 22 वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि के समकालीन थे।
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