73 वाँ संशोधन
100 वाँ संशोधन
99 वाँ संशोधन
92 वाँ संशोधन
73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में पारित होने के बाद देश में संघीय लोकतांत्रिक ढाँचे के एक नये युग का सूत्र पात हुआ और स्थानीय स्वशासन के तहत पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। स्थानीय स्वशासन से तात्पर्य यह है कि जिसमें निचले स्तर पर लोगों को भागीदार बनाकर लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण को सुनिश्चित करना तथा लोगों को अपनी समस्यायें स्वयं हल करने के लिए सक्षम बनाया जाना। बलवंत राय मेहता को पंचायती राज व्यवस्था का वास्तुकार या शिल्पकार कहा जाता है।
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