शिमुक
सातकर्णी द्वितीय
गौतमीपुत्र सातकर्णी
यज्ञश्री सातकर्णी
सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था। पुराणों में सातवाहन वंश के आन्ध्र जातीय तथा आन्ध्रमृत्य कहा गया है। शतकर्णी प्रथम इस वंश का प्रथम योग्य शासक था। इसने मलवशैली की गोल मुद्राएं तथा अपनी पत्नि के नाम पर रजत मुद्राए उत्कीर्ण करवायी। हाल, सातवाहन वंश का सर्वाधिक विद्वान शासक था। उसने प्राकृतिक भाषा में ‘गाथाशप्तमी’ नामक ग्रन्थ की रचना की। उसकी राजसभा में वृहत्कथा के रचयिता गुणाढ्य तथा कांतत्र नामक संस्कृत व्याकरण के लेखक शर्ववर्मन निवास करते थे। गौतमीपुत्र शतकर्णी सातवाहन वंश का महानतम शासक था। नासिक अभिलेख में उसे ‘एकमात्र ब्राह्मण’ एवं अद्वितीय ब्राह्मण कहा गया है। इसने ‘वेणकटक स्वामी’ की उपाधि धारण की तथा ‘वेणकटक’ नामक नगर की स्थापना की यज्ञश्री शतकर्णी, सातवाहन वंश का अंतिम महान शासक था। वह व्यापार, एवं जलयात्रा का प्रेमी था। इसके सिक्कों पर जलयान का चित्र अंकित है जो जलयात्रा और समुद्री व्यापार के प्रति इसके प्रेम का परिचायक है।
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