कालीमिर्च
लोहा
सूतीवस्त्र
नील
ईसा पूर्व की प्रथम शताब्दी में भारत का पश्चिमी देशों से व्यापार उन्नत दशा में था। 22 ईस्वी में रोम के राष्ट्रवादी यह शिकायत करते थे कि रोम पूरब से गोल मिर्च या काली मिर्च खरीदने पर अत्यधिक खर्च कर रहा है। पश्चिम के लोगों को भारतीय गोल मिर्च इतनी प्रिय थी कि संस्कृत में गोलमिर्च का नाम ही ‘यवन प्रिय’ पड़ गया।
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