महाभाष्य
मालविकाग्निमिलाम
चरकसंहिता
यवन जातक
यवन आक्रमण की चर्चा पतंजलि के महाभाष्य, गार्गी संहिता तथा कालिदास के मालविकाग्निमित्र नाटक में हुयी है। पतंजलि के महाभाष्य से ज्ञात होता है कि यवनों ने साकेत एवं माध्यिका (चित्तौड़) तक आक्रमण किया। ‘गार्गी संहिता’ से ज्ञात होता है कि यवन - आक्रांता साकेत, पाञ्चाल, मथुरा को जीतते हुए कुसुमध्वज (पाटलिपुत्र) के समय में हुआ था। जिसे उसके पौत्र वसुमित्र ने बुरी तरह पराजित किया। कालिदास के मालविकाग्निमित्र नाटक में यवन आक्रमण का उल्लेख हुआ है। इसके अनुसार अग्निमित्र के पुत्र वसुमित्र ने यवनों को सिन्धु नदी के दाहिने किनारे पर पराजित किया।
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