1 तथा 2
1 तथा 3
2 तथा 3
2 तथा 4
कनिष्क के शासनकाल में (102 ई. में) कश्मीर के कुण्डलवन अथवा जालंधर में चतुर्थ बौद्ध संगीति (पार्श्व के कहने पर) आयोजित की गयी। इस संगीति की अध्यक्षता वसुमित्र ने की, जबकि इसके उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। इसी समय बौद्ध धर्म स्पष्ट रुप से हीनयान तथा महायान नामक दो सम्प्रदायों में विभाजित हो गया। आनंद और उपालि बुद्ध के दो प्रमुख शिष्य थे जो प्रथम बौद्ध संगीति के समय उपस्थित थे। यह संगीति चतुर्थ बौद्ध संगीति से लगभग 600 वर्ष पूर्व हुयी थी। कात्यायन की प्रतिष्ठा एक स्मृतिकार के रुप में है। ये बौद्ध विद्वान नहीं थे। कात्यायन को गुप्तकाल से सम्बद्ध किया जाता है। इस प्रकार उपालि और कात्यायन चतुर्थ बौद्ध संगीति से सम्बद्ध नहीं किये जा सकते।
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