पाली
प्राकृत
मगधी
अवधी
जैन साहित्य को आगम (सिद्धान्त) कहा जाता है। इसके अंतर्गत 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण, 6 छेदसूत्र, 4 मूल सूत्र एवं अनुयोग सूत्र आते है। यह विशाल साहित्य मूलतः प्राकृत भाषा में लिखा गया। प्रारंभिक जैन साहित्य में पश्चिमी प्राकृत भाषाओं से प्रभावित जैन साहित्य में पश्चिमी प्राकृत भाषाओं से प्रभावित मिश्रित मागधी भाषा, जो साधारणतया अर्द्ध मागधी कहा जाती है, का प्रयोग किया गया है।
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