हूणों का आक्रमण
पुलकेशिन द्वितीय से मैत्री सम्बन्ध
कामरुप के राजा भास्कर वर्मा से मैत्री सम्बन्ध
गौड़ नरेश शशांक से मैत्री सम्बन्ध
अपनी विजय यात्रा के प्रथम चरण के दौरान से ही हर्ष को कामरूप नरेश भास्कर वर्मा (630 से 650 ईसवी) द्वारा भेजा हुआ एक दूत हंसवेग मिला जो हर्ष के पास कामरूप नरेश का मैत्रीय संदेश तथा कुछ उपहार लेकर आया था। ऐसा प्रतीत होता है कि भास्कर वर्मा शशांक से भयभीत था। हेनसांग की जीवनी में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भास्कर वर्मा हर्ष से प्रभावित था।
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