85 करोड़ रु. का
115 करोड़ रु. का
200 करोड़ रु. का
उपर्युक्त में से कोई नहीं
नोट निर्गमन के लिए आनुपातिक कोष प्रणाली के स्थान पर वर्ष 1957 में न्यूनतम कोष प्रणाली अपनाई गई, जिसके तहत 515 करोड़ रु. कोष (जिसमें 115 करोड़ रु. स्वर्ण तथा 400 करोड़ रु. विदेशी प्रतिभूति) के रुप में तथा छापी जाने वाली पत्र मुद्रा के शेष मूल्यों को रुपये की प्रतिभूति में रखना आवश्यक था। 31 अक्टूबर, 1957 के बाद रिजर्व बैंक एक्ट के संशोधन के अनुसार, केवल 200 करोड़ रु. कर दिया गया, जिसमें 115 करोड़ रु. सोने के रुप में रखना अनिवार्य है तथा शेष 85 करोड़ रु. की विदेशी प्रतिभूति रखना अनिवार्य है।
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