फाह्यान
ह्वेनसांग
इत्सिंग
जस्टिन
आधुनिक और सामान्य अर्थ में लोक विधान के अनुसार सनातन धर्म के चार वर्गों में चौथा वर्ग शूद्र कहलाता है। इनका काम उद्योग करना और निम्न कोटि के सिल्क के कार्य करते थे। बस वह कर्म सूत्र लेकिन उनका वर्ण उनका वर्ण वैश्य माना जाता था। हेनसांग ने कृषक को शुद्र कहा है।
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